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दिवाली से पहले ही गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज किया गया

दिवाली से पहले ही गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज किया गया

दिवाली से आने से पूर्व पुनः एक बार फिर से गेहूं महंगा हो चुका है। बतादें, कि इससे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं की कीमत थोक बाजार में 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी है। ऐसा कहा जा रहा है, कि आगामी दिनों में इसका भाव और बढ़ सकता है। साथ ही, इससे पूर्व जनवरी माह में भी गेहूं की कीमत सातवें आसमान पर पहुँच गई थी। केंद्र सरकार के बहुत सारे प्रयासों के बावजूद भी महंगाई कम ही नहीं हो पा रही है। आलम यह है, कि एक वस्तु सस्ती होती है, तो दूसरी वस्तु महंगी हो जाती है। टमाटर एवं हरी सब्जियों के भाव में गिरावट दर्ज की है। वर्तमान में गेहूं एक बार पुनः महंगा हो गया है। ऐसा बताया जा रहा है, कि त्योहारी सीजन से पूर्व ही गेहूं के भाव 8 माह के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। ऐसी स्थिति में फूड इन्फ्लेशन बढ़ने की संभावना एक बार पुनः बढ़ गई है। साथ ही, व्यापारियों ने बताया है, कि इंपोर्ट ड्यूटी के कारण विदेशों से खाद्य पदार्थों का आयात प्रभावित हो रहा है। इससे सरकार के ऊपर निर्यात ड्यूटी हटाने को लेकर काफी दबाव बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को महंगाई पर लगाम लगाने के लिए समय-समय पर सरकारी भंडार से भी गेहूं और चावल जैसे खाद्य पदार्थ को जारी करना पड़ रहा है।

गेंहू की कीमत बढ़ने से इन खाद्यान पदार्थों की कीमत भी बढ़ेगी

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, त्योहारी दिनों की वजह से बाजार में गेहूं की डिमांड बढ़ गई है। वहीं, मांग में बढ़ोतरी से गेहूं की आपूर्ति काफी प्रभावित हो गई है, जिससे कीमतें 8 माह के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं। यदि कीमतों में इजाफे का यह हाल रहा तो, आगामी दिनों में खुदरा महंगाई और भी बढ़ सकती है। गेहूं एक ऐसा अनाज है, जिससे विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं। अगर
गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी होती है, तो रोटी, बिस्कुट, ब्रेड एवं केक समेत विभिन्न खाद्य पदार्थ काफी महंगे हो जाएंगे।

भारत सरकार द्वारा गेहूं पर 40% फीसद इंपोर्ट ड्यूटी

मुख्य बात यह है, कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं के भाव में मंगलवार को 1.6% का इजाफा दर्ज किया गया। इससे गेहूं की कीमत थोक बाजार में 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गई, जोकि 10 फरवरी के बाद का सर्वोच्च स्तर है। ऐसा बताया जा रहा है, कि विगत छह महीनों के दौरान गेहूं का भाव तकरीबन 22% प्रतिशत बढ़ा हैं। साथ ही, रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने केंद्र सरकार के समक्ष गेहूं के आयात पर से ड्यूटी हटाने की मांग उठाई है। दरअसल, उन्होंने बताया है, कि अगर सरकार गेहूं पर से इंपोर्ट ड्यूटी हटा देती है, तो निश्चित रूप से इसकी कीमत कम हो सकती है। दरअसल, भारत सरकार द्वारा गेहूं पर 40% फीसद आयात ड्यूटी लगाई है, जिसे हटाने को लेकर कोई तत्काल योजना नजर नहीं आ रही है।

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खाद्य पदार्थों की कीमतों में इस तरह गिरावट होगी

साथ ही, 1 अक्टूबर तक सरकारी गेहूं भंडार में केवल 24 मिलियन मीट्रिक टन ही गेहूं का भंडार था। जो पांच वर्ष के औसतन 37.6 मिलियन टन के मुकाबले में बेहद कम है। हालांकि, केंद्र ने फसल सीजन 2023 में किसानों से 26.2 मिलियन टन गेहूं की खरीदारी की है, जो लक्ष्य 34.15 मिलियन टन से कम है। वहीं, केंद्र सरकार का अंदाजा है, कि फसल सीजन 2023-24 में गेहूं उत्पादन 112.74 मिलियन मीट्रिक टन के करीब होगा। इससे खाद्य पदार्थों के भाव में गिरावट आएगी।
भारत सरकार द्वारा 6 रबी फसलों की एमएसपी में की गई बढ़ोतरी से किसानों में खुशी की लहर

भारत सरकार द्वारा 6 रबी फसलों की एमएसपी में की गई बढ़ोतरी से किसानों में खुशी की लहर

भारत सरकार ने सरसों, गेहूं, मसूर और चना समेत 6 रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर दी है। इससे विशेष कर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के करोड़ों किसानों को लाभ मिलेगा। साथ ही, किसानों की आमदनी भी बढ़ जाएगी। केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को दिवाली का शानदार तोहफा प्रदान किया गया है। उसने गेहूं सहित 6 रबी फसलों की एमएसपी बढ़ा दी है। इससे भारत के करोड़ों किसानों का लाभ मिलेगा। उनकी आमदनी में भी काफी इजाफा होगा। विशेष बात यह है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा
रबी फसलों की एमएसपी में 2% से लगाकर 7% फीसद तक की वृद्धि की है। वहीं, केंद्रीय कैबिनेट द्वारा एमएसपी की बढ़ोतरी पर मुहर भी लग चुकी है। मतलब कि फसल सीजन 2024- 25 के लिए जब रबी फसलों की खरीद आरंभ होगी, तो किसानों को नवीन एमएसपी की दर से धनराशि मिलेगी।

रबी फसल में आने वाली फसलें

गेहूं, अलसी, सरसों, कुसुम, मटर, चना एवं जौ रबी फसल में आते हैं। इनकी बुवाई अक्टूबर माह से नवंबर माह के बीच की जाती है। विशेष बात यह है, कि रबी फसलों की सर्वाधिक खेती उत्तर भारत के राज्यों में ही की जाती है। गेंहू की बात करें तो उत्तर प्रदेश इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कहा जाता है। इसके पश्चात मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार पंजाब, हरियाणा और राजस्थान का नंबर आता है। वर्तमान में केंद्र सरकार ने गेहूं की एमएसपी में 150 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बढ़ोतरी की है। इसके उपरांत गेहूं की एमएसपी रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। मतलब, कि पीएम मोदी के कैबिनेट के निर्णय से , गुजरात, बिहार, यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के करोड़ों किसानों को काफी ज्यादा लाभ मिलेगा।

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भारत में सरसों का कहाँ और कितना उत्पादन किया जाता है

भारत में इसी प्रकार सरसों की पैदावार में राजस्थान अव्वल राज्य है। इसकी भारत में कुल उत्पादित सरसों में 46.7 फीसद भागीदारी है। इसका मतलब यह हुआ है, कि राजस्थान एकमात्र 46.7 फीसद सरसों की पैदावार करती है। इसके पश्चात उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल का नंबर आता है। फिलहाल, केंद्र सरकार ने सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से इजाफा किया है। इसके साथ ही सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6550 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच चुका है। ऐसी स्थिति में इन राज्यों के किसानों को बेहद लाभ मिलेगा।

सरसों का उत्पादन क्षेत्रफल बढ़ने से महंगाई में गिरावट आएगी

साथ ही, कृषि विशेषज्ञों का कहना है, कि भारत में खपत के अनुसार सरसों की पैदावार काफी कम होती है। ऐसी परिस्थिति में विदेश से खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। परंतु, केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी में बढ़ोतरी करने का निर्णय समुचित समय पर लिया गया है। क्योंकि, वर्तमान में सरसों की बिजाई का सीजन चल रहा है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि एमएसपी में इजाफा होने से कृषक अधिक कमाई करने के लिए अधिक क्षेत्रफल में सरसों की बिजाई करेंगे। इससे भारत में सरसों का उत्पादन बढ़ जाएगा, जिससे सरसों के तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इससे महंगाई में भी काफी गिरावट आएगी।
इन राज्यों में गेहूं खरीद शुरू 72 घंटे के अंदर खरीद के भुगतान का आदेश

इन राज्यों में गेहूं खरीद शुरू 72 घंटे के अंदर खरीद के भुगतान का आदेश

पंजाब और हरियाणा में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद चालू हो गई है। खरीद के लिए तीनों राज्यों में प्रशासन ने सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। सरकार का कहना है, कि किसानों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत पेश नहीं आने दी जाएगी।

गेहूं की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए खुशखबरी है। गेहूं की सरकारी खरीद अब चालू हो गई है। दरअसल, 1 अप्रैल से हरियाणा और पंजाब में गेहूं की खरीद शुरू हो गई है। 

गेहूं की खरीद के लिए दोनों राज्यों में प्रशासन ने सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। सरकार का कहना है कि किसानों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत पेश नहीं आने दी जाएगी। तीनों राज्यों में सरकार ने क्या-कुछ व्यवस्था कर रखी है।

हरियाणा राज्य में सैकड़ों क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं

अगर हरियाणा की बात की जाए तो सरकार ने प्रदेश भर में गेहूं की खरीद के लिए 414 क्रय केंद्र खोले हैं। बाजार समिति के अधिकारियों का कहना है, कि उन्होंने गेहूं खरीद के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं। 

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा खरीदे गए स्टॉक को मंडियों से गोदामों तक पहुंचाने के लिए टेंडर्स भी जारी कर दिए हैं। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के निदेशालय ने कहा कि कुल 414 खरीद केंद्रों में से सर्वाधिक 63 सिरसा जनपद में स्थापित किए गए हैं। 

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इसके पश्चात फतेहाबाद में 51 क्रय केंद्र खोले गए हैं। कैथल और जींद जनपदों में क्रमशः 43 और 41 खरीद केंद्र तैयार किए गए हैं।

किसानों को 72 घंटे में एमएसपी का भुगतान सुनिश्चित होगा

बतादें, कि इस बार बीते साल की तुलना में गेहूं की अधिक आवक आने की संभावना है, जिसको देखते हुए फसलों की खरीद की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। 

इस बार भी फसल खरीद का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से 48 से 72 घंटे के अंदर-अंदर सीधे कृषकों के खातों में भेजा जाएगा। सरकार ने खरीद के संबंध में सभी चीजों का ब्यौरा द‍िया है। 

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुमिता मिश्रा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) के साथ खरीद की तैयारियों के संबंध में बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

पंजाब में गेंहू खरीद के लिए विशेष इंतजाम

हम यदि पंजाब की बात करें तो यहां भी आज से खरीद प्रारंभ हो चुकी है। मंडी बोर्ड ने गेहूं की खरीद के लिए अपनी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। खरीद का कार्य 45 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

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पंजाब मंडी बोर्ड ने ऐलान किया है, कि खरीद एजेंसियों की सलाह के मुताबिक विभिन्न एजेंसियों को 1,908 खरीद केंद्र आवंटित किए जाएंगे। 

मुख्य सचिव ने डीसी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, कि खरीद के दौरान किसानों को किसी तरह की दिक्कत-परेशानी का सामना ना करना पड़े। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को परेशानी मुक्त तरीके से शीघ्र भुगतान करने के भी निर्देश दिए हैं।